चंडीगढ़, 28 सितम्बरः
सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग, पंजाब की तरफ से कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन (केऐससीऐफ), नयी दिल्ली के सहयोग से बाल विवाह के मुद्दे पर राज्य स्तरीय सलाहकार मीटिंग का आयोजन किया गया।
इस मौके पर बाल एक्टिविस्ट रीता रानी ने चाइल्ड लाईन 1098 की मदद से बाल विवाह से बचने का अपना उत्साहजनक तजुर्बा सांझा किया। उसने 16 साल की छोटी उम्र में अपना विवाह होने से रोका।
हालाँकि उसके माता-पिता इससे नाखुश थे और उसकी पढ़ाई का समर्थन करने से इन्कार कर दिया। उस समय बहुत सी एन. जी. ओज़ और सामाजिक एक्टिविस्ट उसकी शिक्षा के समर्थन के लिए आगे आए। मौजूदा समय वह लॉ की पढ़ाई कर रही है और बाल विवाह के विरुद्ध जागरूकता फैला रही है।
यह समागम महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (मगसीपा) में आयोजित किया गया, जिसमें ज़िला बाल सुरक्षा अफ़सर (डी. सी. पी. ओ.), बाल कल्याण समिति ( सीडबल्यूसी), स्पेशल जुवेनाईल पुलिस यूनिट (ऐसजेपीयूज़) नोडल अफ़सर, बाल विकास प्रोजैक्ट अफ़सर (सीडीपीयोज़), चाइल्ड केयर इंस्टीच्यूशनज़ (सीसियाईज़) के सुपरडैंट, एनजीओज़ के नुमायंदे, स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के नुमायंदे और बाल विवाह से बचने वाली बाल एक्टिविस्ट ने हिस्सा लिया। इस मौके पर मौजूद सभी भाईवालों ने इस समागम में सक्रियता से भाग लेते हुये अपने तजुर्बे सांझे किये।
इस मौके पर बोलते हुये अतिरिक्त डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस, पंजाब गुरप्रीत दिओ ने सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं के भाईवालों को रचनात्मक तालमेल बनाने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्लेटफार्म चुनौतियों पर विचार करने, प्रगति का जायज़ा लेने और सल्यूशन डायलोग की सुविधा प्रदान में सहायक होते हैं।
समागम का उद्घाटन सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास, पंजाब के डायरैक्टर श्रीमती माधवी कटारिया ने किया। उन्होंने सभी भाईवालों को अपनी बड़ी जिम्मेदारियों का एहसास करने और इस सामाजिक बुराई से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार होने के लिए प्रेरित किया जो न सिर्फ़ मानवीय अधिकारों का उल्लंघन करती है बल्कि छोटे बच्चों ( लड़के और लड़कियाँ दोनों) के विकास को भी प्रभावित करती है। डायरैक्टर ने बताया कि विभाग ने कोविड- 19 के कठिन समय के दौरान पंजाब में 32 बाल विवाहों को सफलतापूर्वक रोका है।
मैंबर सचिव- कम- ज़िला और सैशन जज, पंजाब राज्य कानूनी सेवा अथॉरिटी अरुण गुप्ता ने बाल विवाह रोकथाम एक्ट ( पी. सी. एम. ए.), 2006 और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के बारे एक्ट, 2012 पर चर्चा की। उन्होंने सम्बन्धित पक्षों को इस बुराई को जड़ से मिटाने के लिए सक्रियता से काम करने और उनसे कानूनी सहायता लेने के लिए कहा।
कार्यकारी डायरैक्टर के. एस. सी. एफ. श्रीमती ज्योति माथुर ने बाल विवाह समेत बाल शोषण के विरुद्ध लड़ाई में अपने अनुभव सांझा किये। उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय सलाह-मश्वरे के साथ सम्बन्धित पक्षों को बाल विवाह के विरुद्ध अपनी लड़ाई तेज करने के लिए प्रेरित किया जायेगा जो इस बुराई को ख़त्म करने के लिए प्रभावी सिद्ध होगा।
चीफ़ जुडिशियल मैजिस्ट्रेट, रोपड़ आशीष बांसल ने पैनल चर्चा की अध्यक्षता करते हुये बताया कि बाल विवाह एक दण्डनीय अपराध है और सभी को बाल विवाह के कारणों को ख़त्म करने और बाल विवाह से मुक्त समाज की सृजना करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
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